कहते हैं, ज़रे ज़रे में खुदा है
है ज़रे ज़रे में खुदा अगर ?
तो मुझमे भी तो होगा
है जितना किसी और में
उतना ही होगा
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो आंसू बनकर आँखों से गिरता होगा
वही तो मुस्कान बनकर होठों पर बिखरता होगा
वही तो हर इंसान के सीने में धड़कता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो आसमान में रंग बनकर इठलाता होगा
वही तो नदी की धार में सितार बजाता होगा
वहीं तो हर पत्ते में थिरकता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो तूफानों में जलजलें लाता होगा
वही तो आंधियों को हवा देता होगा
वही तो कफ़न में छुपकर हँसता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
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है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
ReplyDeleteतो फिर घबराना क्या ?
मुश्किल प्रश्न , उत्तर की खोज जारी है विचारणीय .........