Thursday, January 20, 2011

हाय ...दिल तेरी बेहयाई

हाय !! दिल तेरी बेहयाई
इतनी बार ठोकर खाई
पर तुझे हया ना आई
कल किसी के लिए धड़कता था
आज किसी और के लिए आहें भरता है
फिर ग़ालिब की ग़ज़लों में डूबता है
फिर मैफिलों में तू तनहा सा खड़ा होता है
हाय !! दिल तेरी बेहयाई

फिर नींद गवा दी तूने
सारी रात करवटें बदलतें बिताई
भूल गया सारे ज़ख्म पुराने
जब उसकी नज़र तेरी नज़र से लड़खड़ाई
इंतज़ार में गिनने लगा तारे तू
फिर चाँद में किसीकी सूरत दी दिखाई
हाय !! दिल तेरी बेहयाई

किसीके आलिंगन में तूने
फिर से ईशवर की परछाई पाई
रखकर सर उसके सीने पर
सारी खुशबू अपनी धड़कनों में समाई
अब अगर विदा हो भी जाए वो और तू
तो भी तूने बस इस पल के लिए दी दुहाई
हाय !! दिल तेरी बेहयाई

फिर ये मेरे दिल !!
तू वादों पर याकीन करने लगा
किसीकी मुस्कराहट पर मरने लगा
बजते हैं जो राग तेरे अन्दर
उन्हें मेरे चहरे से छलकाने लगा
जो चला गया उसका तुझे ग़म नहीं
जो हैं उसके साथ फिर तू सपने सजाने लगा
हाय !! दिल तेरी बेहयाई

1 comment:

  1. kafee achchhi behayaaiiiiiii :)
    moving on is the only way to live life happily..

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