ज़िन्दगी की कहानी अजीब होती है
तू सबसे करीब था मेरे कभी
आज कितना दूर रहता है
तेरा नाम लेकर सुबहे होती थी
तेरी सूरत देखकर रात शुरू होती थी
आज पूछता है तेरा नाम कोई
तो सोच में पड़ जाती हूँ
तुझे खुदा बनाया था मैंने अपना
तूने अपनी खुशियों का ज़नाज़ा निकला
तो शर्म आई मुझे
अपने खुदा को कितना नीचे गिरा दिया मैंने
तुझे महफूज़ रखा था हर सजा से मैंने
आज मेरे ही दिल से निकली बदुआ
तो हैरत में पड़ गई
एक दोस्त था मेरा
अब अजनबी भी न रहा
ज़िन्दगी की कहानी अजीब होती है
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