तूने तो आवाज दी थी
मैं सुन न सकी
तूने तो बाहें फैलाई थी
मैं देख न सकी
टटोल रही थी कांटें गलिहारे में
फूल खिलें थे छत पे
मैं खुशबू पहचान न सकी
उलझ गई संसारी बातों में
भूल गई मैं अभागन प्रीत तेरी
भरोसा जो तुझपर किया होता , मेरे गुरुवर
पार ज़िन्दगी की नईया हो गई होती
टुकुर टुकुर देखें आखें तेरी कहे मुझसे
नादान कली क्यों है इतनी उदास
अभी आधी ही तो निकली है
आधी तेरी हथेली में रखी है ज़िन्दगी
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गुरुवर कृपा अवश्य होगी भरोसा रखें .......
ReplyDeleteवैसे तो जब जागो तभ सवेरा होता है ...
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