तू खुदा बन गया है मेरा
तुझे मुहब्बत करना मज़हब मेरा
तेरी आँखों में अपनी तस्वीर झाँक कर जागूँ
तेरी बाँहों में लिपट कर हर रात गुजारूं
ज़हर भी दे दे कोई तेरा नाम लेके
मुस्कुराके होठों से उसे चूम लूँ
तूने पूरा कर दिया है मुझे
अपना हमसफ़र बनाके
अब आ जाए मौत भी
तो मैं कोई सिकवा न करूँ
कहने दो करने दो ज़माने की जो मर्जी हो
लगाने दो बदनामी के दाग भी जो लगाने हो
मैं उफ़ तक न करूँ
गिरा दूं हर पर्दा
मिटा दूं हर दूरी
लुटा दूं अपनी हस्ती
करूँ हदें पार सारी
करूँ हदें पार सारी तेरी बंदगी में महबूब मेरे
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बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
खुबसूरत अहसासों को लफ़्ज दे दिए बहुत खूब ...
ReplyDelete.आपके ब्लॉग पर शायद पहली बार आया .