मेरी आँखों में, जाने कैसी बिमारी है !
हर राह चलते इंसान की बुराई,
साफ़ नज़र आती है !
काश ...
मुझे फुरसत होती,
अपनी आँखों के आईने में !
खुद को देखने की,
तो मैं इतनी तनहा न होती !
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हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
mmmmmmmm....no words...
ReplyDeleteखुद को आईने में देखने की हिम्मत नहीं हैं!!! Well, may be I will be able to....one day!!!
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