Thursday, August 16, 2012

तनहा

मेरी आँखों में, जाने कैसी बिमारी है !
हर राह चलते इंसान की बुराई,
साफ़ नज़र आती है !

काश ...
मुझे फुरसत होती,
अपनी आँखों के आईने में !
खुद को देखने की,
तो मैं इतनी तनहा न होती !

2 comments:

  1. खुद को आईने में देखने की हिम्मत नहीं हैं!!! Well, may be I will be able to....one day!!!

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