Sunday, February 24, 2013

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अच्छा हुआ जो आपने,
ज़िन्दगी का हिसाब-किताब  समझा दिया !
न रहा कोई खाता खुला,
क्या आपने हिसाब रखना सिखा दिया!

बहुत दिन के बाद,
जब पढ़ी ज़िन्दगी की किताब,
न लगी वो मेरी कहानी ,
क्या आपने पढ़ना सिखा दिया !

भूल कर भी न भूल पाऊँ खुद को,
क्या आपने याद रखना सिखा दिया

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