Friday, February 15, 2013

क्या मैं भी कभी ?

जब कभी तुम्हें देखती हूँ, 
तो सोचती हूँ  
क्या मैं भी कभी ?
तुम जैसी सरल थी 
भूख लगी तो खा लिया 
नीन्द आई तो सो लिया 
ना फिकर थी बीती बातों की 
ना आने बाला कल सताता था 
दिन भर छोटी-छोटी बातों पर हंसती रहती थी 

जब कभी तुम्हें देखती हूँ, 
तो सोचती हूँ  
क्या मैं भी कभी ? 
प्यार से इतनी भरी थी 
जो भी पास आता था 
उसे मुस्कुराकर गले लगा लेती थी 
कोई पराया नहीं था मेरा, सब अपने थे 
सब पे भरोसा था !

जब कभी तुम्हें देखती हूँ, 
तो सोचती हूँ  
क्या मैं भी कभी ? 
इतनी पाक थी 
जब  सोना, हीरा और मिटटी सब एक थे
जब मुझे बोलना नहीं आता था,
फिर भी आँखों से सब कह जाती थी 

जब कभी तुम्हें देखती हूँ, 
तो सोचती हूँ  
क्या मैं भी कभी ?
तुम जैसी नाज़ुक और नासमझ थी 
जब मुझे कुछ नहीं आता था
न खाना, न बोलना , न चलना 
पूरी तरहे दूसरों पर निर्भर थी 
फिर भी  डर नहीं था अन्दर,
कल कोई न रहा आस पास में तो कैसे करुँगी!

जब कभी तुम्हें देखती हूँ, 
तो सोचती हूँ  
क्या है मेरे पास तुम्हें देने को ?
कुछ भी तो ख़ास नहीं 
पर जो तुम खज़ाना लेकर आए हो,
उसमे से मैंने कुछ हीरें चुरा लिए हैं 
मैं भी अब सकून से तुम्हारी तरह सोती हूँ 
मैं भी अब छोटी छोटी बातों पर हंसती हूँ 
मैं भी अब कभी-कभी तुम्हारी ज़िन्दगी जी लेती हूँ 


This poetry is dedicated to my sister-in-law's son Adrit who is 8 months old. English Translation for my dear friends who don't know how to read hindi :-)


Whenever I see you,
I think, some years back
Was I also simple like you
When I felt hungry, I ate
When I felt sleepy, I slept
There were no regrets of past
There were no worries for future
I kept laughing whole day on silly things

Whenever I see you,
I think, some years back
Was I also filled with love
Whoever came to me,
I smiled and hugged 
Nobody was stranger to me
I trusted everyone

Whenever I see you,
I think, some years back
Was I also so pure
When gold, diamond and soil were all
I didn't know how to speak
Yet eyes said everything 


Whenever I see you,
I think, some years back
Was I also delicate and Goofy
When I did not know anything
Neither eat nor speak, nor walk
I was completely dependent on others
Yet there was no fear?
What if? no one is around tomorrow!

Whenever I see you,
I think
What do I have to give you ?
Not anything special

But you've come with treasure,
I have stolen some diamonds from it
Now I sleep like you do 
Now I laugh on silly things 
Now sometimes I live your life

6 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  2. बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


    दिनांक 16 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. क्या बात कही आपने | अति सुन्दर व्याखान | पढ़कर आनंद आया | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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