ये सब तो चलता रहेगा
कभी ख़ुशी की धूप होगी
कभी दुःख का अँधेरा होगा
इन दोनों के बीच में,
पानी सा इंसान बहता रहेगा !
कभी लगालेगा कोई प्यार से गले
कभी कोई नफरत से झटक देगा
है नहीं कोई दुश्मन तुम्हारा यहाँ
पर दोस्तों की गिनती भी कम है
ये दोस्ती-दुश्मनी का सिलसिला,
बनता बिगड़ता रहेगा !
कभी जीत का सेहरा होगा
कभी हार का शिकवा होगा
न जीत का जश्न लम्बा होता है
न हार का दाग गहरा रहता है
ये कोई नई बात तो नहीं,
जीत-हार का खेल तो,
जब तक है चलता रहेगा !
तुम चाहों या न चाहों,
इन सबसे गुज़रना होगा
ये ज़िन्दगी न मेरी है
ये ज़िन्दगी न तेरी है
ये तो जैसी है बस वैसी है
उसे वैसे ही स्वीकार करना होगा !
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