जितने इंसान हैं यहाँ उतने ही खुदा हैं !
हर किसी ने अपना खुदा बना रखा है !
मिलती नहीं है सूरत तेरे खुदा की मेरा खुदा से !
बिना सूरत देखे तमाशा लगा रखा है !
जिसने देखी है उसकी एक झलक भी !
वो हर मज़हब से बेखबर हो गया !
जो रह गए है महरूम उसकी इनायत से !
उन्ही ने उसके नाम पे बबाल मचा रखा है !
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