शब्दों का मेला खड़ा अकेला
राहों में तेरी पलकें बिछाए
प्रीत ये कैसी तेरी पिया जी ..
दूर रहकर भी दूर रहो न तुम
मैंने ही मांगी थी तुमसे ये दूरियाँ
अब मन हर आहट पर दहल रहा है
झगड़ कर आंसु आँख से झलक गया है
मेरी शिकायत करने के लिए तुझे ढूंढ रहा है
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nice beautiful :)
ReplyDeleteloved it !
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