Thursday, July 28, 2011

मैं

मैं मैं जैसी अच्छी,
मुझे तुम जैसा बनना क्यों ?
अगर हो गई तुम जैसी,
तो फिर मेरा होना भी क्यों ?

मुझे स्वीकार गुन-अबगुन अपने,
स्वयं को दुकड़ों में बांटना क्यों ?
नहीं है मेरा सत् इतना भी घृणित,
उसे ओढ़नी से ढांकना क्यों ?

English Translation

I am perfect as I am. Why should I be like any other person in the world?. If I become like any other person, then why should I even exist?. The other person is already there.

I accept my greatness and weakness with same love, Why should I divide my own self into parts? My real nature can't be so ugly/horrified. why should I hide it behind mask.

1 comment:

  1. नहीं है मेरा सत् इतना भी घृणित,
    उसे ओढ़नी से ढांकना क्यों ?

    सही ,है इस संसार में आप का अपना एक विशेष स्थान है । आप की विशेषता अपना आप बनाये रखने में है किसी की नकल करने में नही ।

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