पिया तेरा मन मुझसे बैर करे हैं
बिना वजह व्यंग कसे है
चाहे तो समझा अपने बैरी मन को, तुने ही नहीं
मैंने भी गवाया है खुद को , इस पथ पर
चाहे तो झटक दे कलाई मेरी, बीच दरिया में
लौट जा किनारे, फिर दर्शक बनने
मुझे तो शौक है दरिया का
डूबूं या उभरू,पार तो जाना ही होगा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment