Monday, July 25, 2011

बिदाई

मौत भी हसीन होती है दोस्त
इसे हंसकर गले लगाने दो
दुआ मत मांगों खुदा से दो -चार दिनों के लिए
शर्मिंदा होना पड़ेगा मुझे उसके दरवार में

जा रही हूँ जहाँ से आई थी
शुक्रिया आपका जो अपनी ज़िन्दगी में जगहे दी
ले जा रही हूँ आपके प्यार की सौगात बिदाई में

एक मुराद पूरी कर देना
एक गुलाब का पौथा लगा देना
ग़म सताये जो मेरे जाने का कभी
खिले गुलाब में मेरा चेहरा देख लेना

मातम मत मनाना मेरे जाने का कभी
तोहीन होगी मेरी और मेरे खुदा की !

1 comment:

  1. Wow !!! so touching !!! give me goosebumps... Wonderfully written !

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