मन फिर दुखी होने का बहाना ढूँढता है
चारों तरफ फूल ही फूल है
ये दो चार कांटे उठाकर,
मेरे पैरों में चुभोता है
शायद,
पुरानी आदत से मजबूर है
पर, मन की आदत ही है
ज़िन्दगी की जरूरत तो नहीं
कोशिश करूँगी तो बदल जायेगी
इतनी बड़ी बात भी नहीं !
My mind is searching excuse to become sad again
There is so much beauty around
But it has picked few thorns from somewhere
And now creating wounds in my soft feet
Its seems,
It has become in habit to remain sad
(It gets scared of happiness but sadness brings comfort to it)
But, its just a habit
To remain sad is not the need of life
If I try, It will change
Its not an impossible task:-)
Just a habit..
Instead of being sad,
Just become in habit to be joyful and full of laughter
Monday, November 28, 2011
Thursday, November 17, 2011
ज़रे ज़रे में खुदा है
कहते हैं, ज़रे ज़रे में खुदा है
है ज़रे ज़रे में खुदा अगर ?
तो मुझमे भी तो होगा
है जितना किसी और में
उतना ही होगा
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो आंसू बनकर आँखों से गिरता होगा
वही तो मुस्कान बनकर होठों पर बिखरता होगा
वही तो हर इंसान के सीने में धड़कता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो आसमान में रंग बनकर इठलाता होगा
वही तो नदी की धार में सितार बजाता होगा
वहीं तो हर पत्ते में थिरकता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो तूफानों में जलजलें लाता होगा
वही तो आंधियों को हवा देता होगा
वही तो कफ़न में छुपकर हँसता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
है ज़रे ज़रे में खुदा अगर ?
तो मुझमे भी तो होगा
है जितना किसी और में
उतना ही होगा
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो आंसू बनकर आँखों से गिरता होगा
वही तो मुस्कान बनकर होठों पर बिखरता होगा
वही तो हर इंसान के सीने में धड़कता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो आसमान में रंग बनकर इठलाता होगा
वही तो नदी की धार में सितार बजाता होगा
वहीं तो हर पत्ते में थिरकता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
वही तो तूफानों में जलजलें लाता होगा
वही तो आंधियों को हवा देता होगा
वही तो कफ़न में छुपकर हँसता होगा
है अगर हर तरफ चर्चा उसी का
तो फिर घबराना क्या ?
Tuesday, November 15, 2011
Desires
My desires lead me nowhere
I am too small, so are my desires
Little bigger house, little more money
Little better position, little more beauty
If I am not satisfied with what I have,
What little more will bring for me?
Every little more creates desire for little bit more
I remain empty every time as before
Nothing changes in me with little more
Same I am as I was
Then why running behind little more?
Existence takes me in her arms every time
Whisper the same message
Drop all your desires and surrender totally
You are at home with or without outer things
You are where you should be
Nothing else is needed to make you complete
Bring pray fullness in every moment
Make every action your destination
Nothing is big here, nothing is small
I am too small, so are my desires
Little bigger house, little more money
Little better position, little more beauty
If I am not satisfied with what I have,
What little more will bring for me?
Every little more creates desire for little bit more
I remain empty every time as before
Nothing changes in me with little more
Same I am as I was
Then why running behind little more?
Existence takes me in her arms every time
Whisper the same message
Drop all your desires and surrender totally
You are at home with or without outer things
You are where you should be
Nothing else is needed to make you complete
Bring pray fullness in every moment
Make every action your destination
Nothing is big here, nothing is small
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