Thursday, September 20, 2012

दूसरा

मैं हमेशा सोचती थी 
क्यों दूसरों ने मुझे इतना दर्द दिया
न दिया होता,
तो शायद ज़िन्दगी और हसीन होती !

पर देखते देखते,
उस मकाम पर मैं आ पहुंची 
जहाँ कोई दूसरा नज़र ही नहीं आता !
वो तो मेरा ही अँधेरा था 
मैंने अपनी इच्छाओं और सपनों के बुत बना रखे थे 
कभी उनसे दोस्ती कर ली 
कभी उनसे शिकायत कर ली

अब सोचती हूँ,
वहां तो कोई भी न था मेरे सिवा 
किसे मैं माफ़ करूं
किस्से में कोई शिकवा रखूँ 
मैं ही अब वो मैं न रही 
इन बातों का किस्से चर्चा करूं !

Tuesday, September 18, 2012

Dream

Whole life feels just a child's dream
Who doesn't open eyes
Afraid it might be true
 
Everything looks so unreal
May collapse any moment
 
So she keeps on dreaming and dreaming
Don't know
Whether she is awake or asleep

Monday, September 17, 2012

सराय

मैं बिना घर ही रह गई
जिसे घर समझा था
वो तो कुछ दिनों का बस सराय निकला !