Friday, June 8, 2012

शब्द

शब्दों का मेरे क्या मोल पिया !
इक आँसू की दस्ता,
एक किताब कह न पाये पिया !
आँखों में से झाँक लो मेरे जिया का हाल पिया !

बाँध पाया सच को शब्दों में कौन यहाँ ?
अधूरा ही सच कह पाये जुवा पिया !
समेट लो अपनी बाँहों में मुझको,
धड़कने खोल देगी सारे राज़ पिया !

होकर खफ़ा तुझसे जो लागू बुदबुदाने मैं,
शब्दों के जाल में फंस न जाना पिया !
बोलते बोलते रुक जाऊं जब में,
नाम अपना मेरे होटों पे पढ़ लेना पिया !

हो जाऊं अगर नाराज तुझसे,शब्दों से न बहकाना !
पकड़ लेना हाथ मेरा ,सीने से लगा लेना पिया !
सब भूल कर , फिर हो जाऊँगी तेरी पिया !