मैं मैं जैसी अच्छी,
मुझे तुम जैसा बनना क्यों ?
अगर हो गई तुम जैसी,
तो फिर मेरा होना भी क्यों ?
मुझे स्वीकार गुन-अबगुन अपने,
स्वयं को दुकड़ों में बांटना क्यों ?
नहीं है मेरा सत् इतना भी घृणित,
उसे ओढ़नी से ढांकना क्यों ?
English Translation
I am perfect as I am. Why should I be like any other person in the world?. If I become like any other person, then why should I even exist?. The other person is already there.
I accept my greatness and weakness with same love, Why should I divide my own self into parts? My real nature can't be so ugly/horrified. why should I hide it behind mask.
Thursday, July 28, 2011
बैरी मन
पिया तेरा मन मुझसे बैर करे हैं
बिना वजह व्यंग कसे है
चाहे तो समझा अपने बैरी मन को, तुने ही नहीं
मैंने भी गवाया है खुद को , इस पथ पर
चाहे तो झटक दे कलाई मेरी, बीच दरिया में
लौट जा किनारे, फिर दर्शक बनने
मुझे तो शौक है दरिया का
डूबूं या उभरू,पार तो जाना ही होगा
बिना वजह व्यंग कसे है
चाहे तो समझा अपने बैरी मन को, तुने ही नहीं
मैंने भी गवाया है खुद को , इस पथ पर
चाहे तो झटक दे कलाई मेरी, बीच दरिया में
लौट जा किनारे, फिर दर्शक बनने
मुझे तो शौक है दरिया का
डूबूं या उभरू,पार तो जाना ही होगा
Wednesday, July 27, 2011
पिया जी ...
शब्दों का मेला खड़ा अकेला
राहों में तेरी पलकें बिछाए
प्रीत ये कैसी तेरी पिया जी ..
दूर रहकर भी दूर रहो न तुम
मैंने ही मांगी थी तुमसे ये दूरियाँ
अब मन हर आहट पर दहल रहा है
झगड़ कर आंसु आँख से झलक गया है
मेरी शिकायत करने के लिए तुझे ढूंढ रहा है
राहों में तेरी पलकें बिछाए
प्रीत ये कैसी तेरी पिया जी ..
दूर रहकर भी दूर रहो न तुम
मैंने ही मांगी थी तुमसे ये दूरियाँ
अब मन हर आहट पर दहल रहा है
झगड़ कर आंसु आँख से झलक गया है
मेरी शिकायत करने के लिए तुझे ढूंढ रहा है
Monday, July 25, 2011
बिदाई
मौत भी हसीन होती है दोस्त
इसे हंसकर गले लगाने दो
दुआ मत मांगों खुदा से दो -चार दिनों के लिए
शर्मिंदा होना पड़ेगा मुझे उसके दरवार में
जा रही हूँ जहाँ से आई थी
शुक्रिया आपका जो अपनी ज़िन्दगी में जगहे दी
ले जा रही हूँ आपके प्यार की सौगात बिदाई में
एक मुराद पूरी कर देना
एक गुलाब का पौथा लगा देना
ग़म सताये जो मेरे जाने का कभी
खिले गुलाब में मेरा चेहरा देख लेना
मातम मत मनाना मेरे जाने का कभी
तोहीन होगी मेरी और मेरे खुदा की !
इसे हंसकर गले लगाने दो
दुआ मत मांगों खुदा से दो -चार दिनों के लिए
शर्मिंदा होना पड़ेगा मुझे उसके दरवार में
जा रही हूँ जहाँ से आई थी
शुक्रिया आपका जो अपनी ज़िन्दगी में जगहे दी
ले जा रही हूँ आपके प्यार की सौगात बिदाई में
एक मुराद पूरी कर देना
एक गुलाब का पौथा लगा देना
ग़म सताये जो मेरे जाने का कभी
खिले गुलाब में मेरा चेहरा देख लेना
मातम मत मनाना मेरे जाने का कभी
तोहीन होगी मेरी और मेरे खुदा की !
Thursday, July 14, 2011
अपना अपना खुदा
जितने इंसान हैं यहाँ उतने ही खुदा हैं !
हर किसी ने अपना खुदा बना रखा है !
मिलती नहीं है सूरत तेरे खुदा की मेरा खुदा से !
बिना सूरत देखे तमाशा लगा रखा है !
जिसने देखी है उसकी एक झलक भी !
वो हर मज़हब से बेखबर हो गया !
जो रह गए है महरूम उसकी इनायत से !
उन्ही ने उसके नाम पे बबाल मचा रखा है !
हर किसी ने अपना खुदा बना रखा है !
मिलती नहीं है सूरत तेरे खुदा की मेरा खुदा से !
बिना सूरत देखे तमाशा लगा रखा है !
जिसने देखी है उसकी एक झलक भी !
वो हर मज़हब से बेखबर हो गया !
जो रह गए है महरूम उसकी इनायत से !
उन्ही ने उसके नाम पे बबाल मचा रखा है !
Wednesday, July 13, 2011
इल्तज़ा
तेरे पास रहूँ या दूर कहीं !
कभी दुश्मन बनके, तुझे चोट न करू !
अगर मिले तू कभी अजनबी बनकर भी ,
मेरी पलकें शर्म से न झुकें !
इतनी पाक मुहब्बत रहे मेरी !
जो याद आये कभी तेरी, डबडबा जाए आँखें मेरी !
ख्वाब में भी, शिकायत न करू ज़माने से तेरी !
उस उंचाई तक लेकर जाय मुहब्बत तेरी !
तेरा होना न होना, किस्मत की बात है !
तेरे न होने से, कभी गवाऊं न खुद को मैं !
इतनी सी खुदा से इल्तज़ा है मेरी !
कभी दुश्मन बनके, तुझे चोट न करू !
अगर मिले तू कभी अजनबी बनकर भी ,
मेरी पलकें शर्म से न झुकें !
इतनी पाक मुहब्बत रहे मेरी !
जो याद आये कभी तेरी, डबडबा जाए आँखें मेरी !
ख्वाब में भी, शिकायत न करू ज़माने से तेरी !
उस उंचाई तक लेकर जाय मुहब्बत तेरी !
तेरा होना न होना, किस्मत की बात है !
तेरे न होने से, कभी गवाऊं न खुद को मैं !
इतनी सी खुदा से इल्तज़ा है मेरी !
Friday, July 1, 2011
पर...
हाय रे ...व्यथा मेरी
आगे बढ़ रही हूँ
या फिसलकर नीचे गिर रही हूँ
ये भी जान नहीं पाती हूँ
पर ,
कुछ बदलता जा रहा है
कुछ हाथों से छूटता जा रहा है
घनघोर बादलों सा मेरा मन,
नदी जैसा शीतल होता जा रहा है
दुश्मनों की फ़िक्र नहीं,
दोस्तों से भी दूरी बनती जा रही है
हंसी तो पहले ही बेकाबू थी
अब आंसुओं से भी लगाब हो गया है
जाने अपने करीबियों को,
ये गहराई कैसे दिखा पाऊँगी !
पर,
जो भी साथ चला मेरे
न रहेगा उसका कोई अतीत
न आयेगा उसका कोई कल
शब्दों की झंझट छूट जायेगी
रहेगा शेष,
जो कहा न जा सके
नदी में कूद तो गई हूँ
न आये तैरना मुझे
कोई भी भंबर तबाह कर सकता है
पल में , मेरा अस्तित्व मिटा सकता है
पर ,
नदी को ही मेरी हिम्मत पर तरस आ गया है
वो उतना ही डूबने देती है
जितने में मेरी सांसे चलती रहे !
और तमाशा क्या खूब है
मैंने उसकी तली में भी जाकर साँस लेना सीख लिया
आगे बढ़ रही हूँ
या फिसलकर नीचे गिर रही हूँ
ये भी जान नहीं पाती हूँ
पर ,
कुछ बदलता जा रहा है
कुछ हाथों से छूटता जा रहा है
घनघोर बादलों सा मेरा मन,
नदी जैसा शीतल होता जा रहा है
दुश्मनों की फ़िक्र नहीं,
दोस्तों से भी दूरी बनती जा रही है
हंसी तो पहले ही बेकाबू थी
अब आंसुओं से भी लगाब हो गया है
जाने अपने करीबियों को,
ये गहराई कैसे दिखा पाऊँगी !
पर,
जो भी साथ चला मेरे
न रहेगा उसका कोई अतीत
न आयेगा उसका कोई कल
शब्दों की झंझट छूट जायेगी
रहेगा शेष,
जो कहा न जा सके
नदी में कूद तो गई हूँ
न आये तैरना मुझे
कोई भी भंबर तबाह कर सकता है
पल में , मेरा अस्तित्व मिटा सकता है
पर ,
नदी को ही मेरी हिम्मत पर तरस आ गया है
वो उतना ही डूबने देती है
जितने में मेरी सांसे चलती रहे !
और तमाशा क्या खूब है
मैंने उसकी तली में भी जाकर साँस लेना सीख लिया
Subscribe to:
Posts (Atom)