Tuesday, May 21, 2013

तैयारी


सारा दिन निकल गया
जाने किन-किन झमेलों में
रात हुई तो याद आया,
तुझे तो याद किया ही नहीं !

मिल गया था आज भी ,
बहाना एक नया,
तुझसे दूर रहने का
गुज़ार दिया एक और दिन,
तुझसे नज़रे मिलाये बिना ही !

अब , ना जाने कब अपना मिलन होगा,
जाने कब इन झमेलों और बहानों का,
सिलसिला ख़त्म होगा !

जानती हूँ,
तुम तो तैयार रहते हो हमेशा !
जाने कब मेरी तैयारी पूरी होगी ?

1 comment:

  1. Nice Lines…I am also writing some such kind of poem ,
    Plz see once it on – http://sandeepdubeyfaizabad.blogspot.in/

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