Tuesday, January 18, 2011

मौला

मेरा अपना क्या है मौला
सब तेरा ही है

तू जिस भी रूप में आयेगा,
मैं स्वीकार कर लूंगी

तू हंसी बनकर आयेगा,
तो खिलखिलाकर हंस लूँगी
तू आंसू बनकर आयेगा,
तो आँखों से बहने दूंगी

मैं क्यों जानूं ?
अपनी ख़ुशी की वजह
मैं क्यों पूछूँ ?
अपने गम का सबब

ये तन तेरा, ये मन तेरा
ये खुशी तेरी, ये गम भी तेरा

अब ना कोई सवाल हैं
ना किसी जवाब की उम्मीद
जब सबकुछ तेरा ही है मौला
तो ये सवाल भी तेरे , इनके जवाब भी तेरे

मैं तो कोरा कागज हूँ
तू अपने रंग भरता जा
अब तुझे कोई रोक टोक नहीं
जब तेरा मन हो चला आ
बहाकर ले चल कहीं भी
मैं संग तेरे चली आऊँगी
ना फ़िक्र है मरने की मौला
ना खोने को कुछ रहा

सब लुट भी जाये और मैं बन जाऊं फ़कीर
फिर भी क्यों डरूं ?

ये जान भी तेरी, ये शान भी तेरी
तू छीन ले सब, जब मर्जी हो तेरी
मिटा दे मेरी हस्ती, जब ना रहे जरुरत तेरी

मुस्कुराकर मिट जाऊँगी, तुझमें ही कहीं समा जाऊँगी
ये मुस्कराहट भी तेरी, ये मस्ती भी तेरी
जो चाहे कर ले मेरे मौला ,
अब तो हो चुकी हूँ तेरी
अब तो हो चुकी हूँ तेरी

2 comments:

  1. soofiyaana sound kar rahiii hai aapki rachnaaa :)
    good one..

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  2. Aap jaise dost ho... to hum jaise sufiyana ho hi jaayge :-)

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