मैं कहना तो सीख गई,
जो भी तू करता है, अच्छे के लिए करता है !
पर स्वीकार नहीं कर पाई
पड़ी रहती है कहीं अंतर्मन में,
शक की एक छोटी-सी डली !
एक स्वस्थ काया दी,
ख़ूबसूरती निहारने के लिए दो नैन दिए
संगीत का मजा लूटने के लिए दो कान दिए
धिरकने के लिए दो पैर भी दिए
नहीं देता, तो क्या तेरा बिगाड़ लेती !
कहने को तो बहुत दिया,
फिर भी, मुझे हमेशा कम लगा !
एक माँ दी, प्यार से पालने के लिए !
एक पिता दिया , शिक्षा की देख -भाल के लिए !
एक छत मिली बारिश में,
घी रोटी मिली भूख में !
ना होता साया किसीका,
तो कैसे नाजुक बचपन को संभालती !
कहने को तो बहुत दिया,
फिर भी, मुझे हमेशा कम लगा !
जब गिरी लड़खड़ाकर मैं ,
तूने किसी बहाने से मुझे धाम लिया !
कभी दे दिया वो, जिसकी मुझे चाहत थी
कभी जुदा कर दिया उसे, जो आज़ीज़ था
ना करता जुदा किसीको मुझसे,
तो आज मैं अपने प्यार के साथ कैसे होती
कहने को तो बहुत दिया तूने,
फिर भी, मुझे हमेशा कम लगा !
मैं कहना तो सीख गई,
जो भी तू करता है, अच्छे के लिए करता है !
पर स्वीकार नहीं कर पाई !
पड़ी रहती है कहीं अंतर्मन में,
शक की एक छोटी-सी डली !
I am still waiting the day I will have total acceptance and trust in existence...
Saturday, August 24, 2013
प्यार
चल दोस्त...
आज प्यार बाँटते हैं
प्यार से बोलते हैं
प्यार से सुनते हैं
प्यार से देखते हैं
जो कह दे कोई बुरा-भला,
उसे गले लाककर,
उसका दर्द थोड़ा कम कर देते हैं
चल ना दोस्त..
एक दिन के लिए ही सही
प्यार बांटके देखते हैं
आज प्यार बाँटते हैं
प्यार से बोलते हैं
प्यार से सुनते हैं
प्यार से देखते हैं
जो कह दे कोई बुरा-भला,
उसे गले लाककर,
उसका दर्द थोड़ा कम कर देते हैं
चल ना दोस्त..
एक दिन के लिए ही सही
प्यार बांटके देखते हैं
Thursday, August 22, 2013
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
सब शोर लगता है,
तेरी आवाज के सिवा
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
कितना चाहती हूँ
तुझसे दूर जाना !
पर कैसे खींच लेता है तू ,
बिना आवाज दिए !
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
कभी कभी गुस्सा आता है,
अच्छा ख़ासा संसार था मेरा,
तूने उजाड़ के जंगल कर दिया !
जंगल का सरसराता अकेलापन,
डराता भी है, भाता भी है !
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
रात का अँधेरा, अब काटता नहीं है
दुःख का घना बादल, अब सताता नहीं है
मैं बेजुवां हो जाती हूँ !
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
Translation for my dear Husband :-)
Sometimes I feel angry,
तेरी आवाज के सिवा
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
कितना चाहती हूँ
तुझसे दूर जाना !
पर कैसे खींच लेता है तू ,
बिना आवाज दिए !
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
कभी कभी गुस्सा आता है,
अच्छा ख़ासा संसार था मेरा,
तूने उजाड़ के जंगल कर दिया !
जंगल का सरसराता अकेलापन,
डराता भी है, भाता भी है !
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
रात का अँधेरा, अब काटता नहीं है
दुःख का घना बादल, अब सताता नहीं है
कह जाती है आंखें तेरी कुछ ऐसा ,
बस दिल ही समझ पाता है !मैं बेजुवां हो जाती हूँ !
क्या इसे मोहब्बत कहेंगे ?
Translation for my dear Husband :-)
Everything is just noise,
Except your sweet voice
Am I
in love with you?
I try hard to go away
But you pull me like
magnet
Without any
words
Am I in love with you?
Am I in love with you?
I had a small world of my
ideas
You broke everything,
Left me alone in jungle
I feel scared of wildness
And same time I enjoy vastness
Am I in love with you?
The darkness of the night, no longer fear me
The cloud of sadness, no longer torture me
Whenever I look into
your eyes,
They say something
silent
Only my heart
understands
And I become
speechless
Am I in love with you?
Am I in love with you?
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